केवल औषधि की उपलब्धता ही औषधालय स्वामी का ध्येय नही होना चाहिए। कोई उपभोक्ता किन परिस्थितियों में औषधि क्रय करता है यह सर्वविदित हैं।औषधालय स्वामी की वाकपटुता व भाषाशैली मधुर, सौम्य, व शांत होनी चाहिए जिससे पीड़ित व्यक्ति व उनके परिजनों को मानसिक शांति के साथ-साथ एक उचित वातावरण प्रदान किया जा सके।कोई भी पीड़ित व्यक्ति किसी ओषधि को विवशता में ही क्रय करता है, इसलिए उन्हें औषधि पर अंकित मूल्य से कम मूल्य पर उपलब्ध कराकर उन्हें कुछ आर्थिक सहायता भी प्रदान की जानी चाहिए।क्योंकि अंकित मूल्य पर किसी भी औषधालयों में औषधि नही मिलती हैं।केवल यह सज्जन ही ऐसा निर्लज कार्य कर सकते हैं। त्रिवेणी औषधालय स्वामी को सदैव स्मरण रखना चाहिए कि पीड़ित लोग केवल उनके यहां औषधि उपलब्धता व विवशता के कारणवश आते हैं। उन्हें अपन व्यवसाय की यह क्षीणता स्वीकार करनी चाहिए किंतु यह सज्जन उन परिस्थितियों का लाभ लेने में तनिक भी संकोच नही करते। अब यह आप सभी पर निर्भर करता है कि क्या आप अपने स्वाभिमान व चरित्र से संधि करके ऐसे निर्लज, निर्दयी, अभद्रतापूर्ण व्यवहार करने वाले औषधालय के उपभोक्ता बनकर रहना चाहते हैं या नही।
Worst shop ever. Owner got attitude and ego problems. People dere dont have any sense of talking. They don't cut even single penny. Sell all stuff on MRP. Don't buy from dem!
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