22 अप्रैल 2023 2:48
It is very good holly place and also best place to hangout with friends in the lap of nature
09 जनवरी 2023 10:45
बिलासपुर शहर से लगभग 26 किमी दूर सलासी नामक गाँव में स्थित है।कथाओं के अनुसार पूर्वकाल में पूरे क्षेत्र में जल की अत्यंत कमी होने पर तत्कालीन राजा की बहु “रुक्मिणी” ने देवी के निमित्त अपना बलिदान दिया जिसके परिणामस्वरूप यह जलकुंड प्रगट हुआ व शताब्दियों से समूचे क्षेत्र की प्यास बुझा रहा है।

कुंड के मार्ग पर ध्यान देने की आवश्यकता है व आने वाले यात्रियों से आशा रखते हैं कि वे कुंड के सौंदर्य, पवित्रता व मर्यादा का पूर्णरूपेण ध्यान रखेंगे।
09 अप्रैल 2022 18:56
This is the historical place and also u will love this place. Come with ur buddys and enjoy ur valuable moments.at this spot.
13 नवंबर 2021 8:16
Holy drinking water coming out of the mountains, Some people visit to worship and some visit to swim ‍️ in deep cold fresh water.
13 अक्टूबर 2021 22:22
This is a beautiful place, there is a source of water, the colour of water is blue
30 अक्टूबर 2020 21:36
Awesome view excellent place very few people know about this place it should be more popular
30 नवंबर 2019 11:00
ये कहानी उस वक्त की है जब हिमाचल में छोटे-छोटे रजवाड़ों का राज हुआ करता था। एक बार औहर इलाके में पानी की कमी हो गई, हर तरफ सूखा ही सूखा पड़ गया। पशु, जानवर और फिर धीरे-धीरे इंसान प्यास से मरने लग गए। राजा को यह देखकर चिंता होने लगी। फिर एक रात राजा के सपने में उनकी कुल देवी ने दर्शन दिए और समस्या का समाधान बताते हुए कहा कि ‘अगर तुम अपने बड़े बेटे की बलि देते हो तो पानी की समस्या दूर हो जाएगी’ इतना कहकर देवी मां सपने से चली गई।

राजा ने बेटे नहीं बहू की दी थी बलि
देवी मां के सपने में आने के बाद राजा चिंता में रहने लगा। उस वक्त राजा की बहू रुक्मणी अपने दुधमुहे बेटे के साथ माइके (तरेड़ गांव) में गई हुई थी। उधर पानी की किल्लत बढ़ती जा रही थी। नदियां-नालें सूख रहे थे और इधर बेटे के बलि के बारे में सोचकर राजा की चिंता सातवें आसमान पर थी। राजा को जब कोई उपाय नहीं सूझा तो उसने अपने पंडित के साथ सलाह की। कहा जाता है कि पंडित ने पहले राजा को बिल्ली की बलि देने को कहा लेकिन राजा ने ये कहकर मना कर दिया कि वो अगले सात जन्मों के लिए पाप का भागी हो जाएगा गया। लेकिन इसके बाद पंडित ने बहु की बलि देने कहा तो राजा मान गया। राजा ने जरा सी भी देर न करते हुए रुक्मणी को मायके से बुलावा भेजा। रुक्मणी जैसे ही ससुराल पहुंची तो राजा ने सारी बात उसके सामने साफ कर दी। रुक्मणी आदर्श बहु थी वह ना तो अपने ससुर का कहा मोड़ना चाहती थी और ना ही पति की बलि होते देख सकती थी। लिहाजा उसने अपना बलिदान देने का फैसला ले लिया।

दिन निश्चित हुआ और रुक्मणी को ज़िंदा चिनवा दिया गया
रुकमणी ने अपने ससुर की बात मान ली। इसके बाद दिन और जगह निश्चित हुई और राजा ने मिस्त्रियों को बुलाकर बरसंड में बहु की बलि दे दी। कहा जाता है जब रुक्मणी की चिनाई हो रही थी तो उसने मिस्त्रियों से कहा कि ‘कृपया मेरी छाती (स्तनों) को चिनाई से बाहर रखें, क्योंकि मेरा बच्चा छोटा है वह दूध पीने आया करेगा, और अगर वो ऐसा नहीं करेंगे तो उसके जिगर का टुकड़ा मर जाएगा’। राजा ने बहु की बात मान ली और उसकी छाती (स्तनों) को चिनाई से बाहर रख दिया गया।

रुक्मणी के स्तनों की जगह से पहले निकला था दूध और आज निकलता है पानी
बताया जाता है कि जैसे ही रुक्मणी की चिनाई पूरी की गई तो उसकी छाती (स्तनों) से दूध की धारा बहने लगी। लेकिन बाद में यहां से पानी निकलने लगा। धीरे-धीरे रुक्मणी की छाती से निकलने वाले पानी की जगह पर एक कुंड बन गया जिसे आज रुक्मणी कुंड कहा जाता है। आज भी उस स्थान पर वो पत्थर साफ देखे जा सकते हैं। जिनमें रुक्मणी की चिनाई की गई थी।

कई गावों की प्यास बुझाता है रुक्मणी कुंड, लेकिन रुक्मणी के मायके वाले ये पानी नहीं पीते
उस दौर से लेकर इस दौर तक रुक्मणी कुंड में पानी की धारा एक जैसी ही बहती है। रुक्मणी के बलिदान से निकला पानी आज दर्जनों गावों की प्यास बुझा रहा है। इतना ही नहीं इस कुंड से IPH विभाग भी पानी उठा रहा है। लेकिन बताया जाता है कि इस पानी को रुक्मणी के मायके (तरेड़ गांव) वाले नहीं पीते। क्योंकि उनका मानना है कि ये पानी उनकी बेटी की छाती से निकला है। तरेड़ गांव के लिए IPH विभाग अलग से सप्लाई करता है।

कुंड के पास बना हुआ है रुक्मणी का मंदिर
रुक्मणी को याद रखने के लिए आज रुक्मणी कुंड के पास उनका मंदिर बना हुआ है। रुक्मणी कुंड में आने वाला हर शख्स रुक्मणी का आशीर्वाद लेता है और कुंड के पवित्र जल में आस्था की डुबकी लगाता है। महिलाओं और पुरुषों के नहाने के लिए स्नानागार बने हुए हैं। कई लोग इस कुंड में तैराकी का भी आनंद लेते हैं।
साभार
पंजाब केसरी

एक समीक्षा लिखे



समग्र रेटिंग: